Four Steps to Solving a Problem
समस्या के निवारण के चार चरण
1. When solving any problem, there are four steps:
किसी भी समस्या को हल करने के चार कदम:
One needs to know the problem or even realize there is a problem.
हमें ये जानना पड़ता है की समस्या क्या है या फिर ये की हमें कोई समस्या है भी ।
The reason or the cause for that problem (some may be superficial causes, but there are root causes).
उस समस्या के उदभव के कारण (कई बार संकीर्ण समस्या की परिस्थिति में उस समस्या के सतही कारण अलग होते है और मूल कारण अलग होते है। )
Knowing what result can be expected by solving the problem (there may be many possible outcomes depending on the approach).
उस समस्या को हल कर के पश्चात क्या परिणाम की अपेक्षा रखी जा सकती है। संकीर्ण समस्या के हल के आधार पर कई विभिन्न परिणाम की अपेक्षा रख सकते है ।
A procedure to systematically solve the problem based on the superficial or root causes.
समस्या के सतही या मूल कारण के आधार पर उसको हल करेने की क्रियाविधि सोची जा सकती है।
Those were the same steps that our Bodhisatta used to attain Buddhahood.
यही चार कदमो का उपयोग करके बोद्धिसत्व ने अपने आप को बुद्ध में रूपांतरित किया।
Figuring Out the Causes
कारणों की खोज
2. Let us discuss an example. If a car would not start, the cause may not be clear to someone who does not have a technical background in automobiles, but a qualified technician will be able to find the cause quickly.
चलिए एक उदाहरण लेके इस बात को समझते है। मान लीजिये की आपकी गाड़ी किसी समस्या के कारण चालू नहीं हो रही हैं। अब इस घटना का कारण कोई ऐसा मैकेनिक ही खोज सकता है, जिसे गाड़ी का तकनीकी ज्ञान हो। यह मैकेनिक गाड़ी चालू ना होने का कारण काफी जल्दी और शायद काफी आसानी से ही ढूंढ लेगा।
He may find that it is a simple problem of some wires becoming loose in the ignition circuit, or it could be as bad as a problem with the engine itself.
गाड़ी चालू ना होने का कारण काफी सरल भी हो सकता है, जैसे की सिर्फ किसी वायर का सही ना होना या फिर ये कारण काफी संकीर्ण भी हो सकता है, जैसे की गाड़ी के इंजन के अंदर कोई खराबी होना।
The solution to the problem will lead to being able to start the car.
इस समस्या को हल करने बाद हम मोटर को चालू कर पाएंगे।
And the way to get there depends on the actual problem and going through the standard procedures to solve the problem. One could re-connect the loose wires if the problem is with a loose wire. If it is a failed engine, one could either replace the engine or fix it if it is a minor problem with the engine.
स्पष्टतः मोटर को चालू करने के लिए हमें गाड़ी चालू ना होने के सही कारणका विश्लेषण करना होगा। जिसको करने के बाद हमें उस कारण को मानक प्रक्रियाओके तहत हल करना होगा। अगर समस्या वायर के कारण है तो हम वायर को ठीक कर सकते है या फिर अगर कारण और संकीर्ण है जैसे की इंजन में कोई समस्या, तो हमें और संकीर्ण उपाय करना होगा।
Root Causes and Secondary Causes
मूलभूत कारण और गौण कारण
3. Sometimes, there can be a temporary or a permanent solution.
कहीं बार किसी भी संकीर्ण समस्या के दो प्रकार के हल होते है। अस्थायी उपाय और स्थायी उपाय।
If we get a headache, In most cases, we would just take an aspirin or Tylenol, which would “fix it.” But if the headache keeps returning, we may realize there could be a more serious root cause. Now we need to figure out why we are getting headaches frequently. First, we look at easy solutions. For example, if we can connect the timing of the headaches to eating some specific food, we can stop eating that and see whether it goes away.
अगर हमें सरदर्द हो तो, हम दो प्रकार से उसे हल कर सकते है। कई बार सिर्फ कोई सरल दवाएं जैसे की एस्पिरिन या टायलेनोल लेने के बाद हम सरदर्द से आराम पा सकते हैं। पर ऐसा भी हो सकता है की दवाएं लेने के कुछ समय पश्चात् ही हमें वापस सिरदर्द का सामना करना पड़ें। अब अगर ये समस्या बार बार हो तो इस सरदर्द का कोई और प्राथमिक अेवं मूल कारण हो सकता है। हमें इस बीमारी के मूलभूत कारण का विश्लेषण करना होगा। शायद ऐसा भी हो की हमें ये सरदर्द किसी विशेष खाने के कारण हो रहा हो। अगर ऐसा हो तो हम उस एक खाने को छोड़के देख सकते है की उसका हमारे सिरदर्द पे क्या असर हो रहा है।
If we cannot figure it out, and if the problem persists, we go to a specialist, in this case, a physician. The physician will ask a series of questions and may do a series of tests. The goal is to figure out the root cause that may not be obvious. Depending on the results of the diagnostic tests, the physician may find the root cause to be cancer. Then that cancer needs to be treated, etc. He will prescribe a method of treatment. If that root cause is removed, we would have removed recurring headaches.
कई बार हम संकीर्ण समस्याओं का हल नहीं निकल पाते क्यूंकि हमें समस्या का मूलभूत कारण ही समझ में नहीं आता । इन परिस्थितिओ में हमें विशेषज्ञ की मदद लेनी पड सकती है। उदाहरण के तोर पे, इस सरदर्द की समस्या के लिए हमें विशेष चिकित्सक की सलाह लेनी होगी। यह चिकित्सक हमें कुछ सवाल पूछे और कोई लैब रिपोर्ट करने की सलाह दे सकते है। जिसके पश्चात् हम शायद काफी आसानी से इस रोग के मूलभूत कारण को समझ पाए। ऐसा भी हो सकता है की हमें जो रोग है उसका मुलभुत कारण कैंसर की बीमारी है। अगर ऐसा है तो चिकित्सक हमें कैंसर की दवाएं देंगे। जिसको लेने के बाद हम कैंसर की बीमारी और बार बार होने वाला सर दर्द दोनों से आज़ादी पा सकें।
4. There is an important difference between superficial causes and root causes. Superficial causes do not lead to serious problems. For example, if too many drinks taken by a person not used to alcohol causes a headache, which can be ‘fixed” by taking an aspirin. But some problems have root causes hard to see, like the one in #3 above.
सतही कारण और मुलभुत कारणों में भेद है।सतही कारण से गंभीर समस्या नही होती। कई बार किसी व्यक्तिकी अधीक मद्यपान के कारण उसे सरदर्द हो सकता है। इस प्रकार का सरदर्द एस्पिरिन जैसी दवाएं लेने से काफी आसानी से ठीक किया जा सकता है। क्युकी उसका और कोई मुलभुत कारण नहीं है। लेकिन ये जरूरी नहीं है। कहीं बार हमें होने वाली समस्या का कोई और गहरा कारण हो सकता है। जेसेकी क्रमांक #३। ऐसे गहरे कारण को खोज निकालना आसान काम नहीं होता। जैसे के कभी अगर हमारी मोटर कार चालू ना हो तो हम सीधे यह निष्कर्ष पे नहीं आते की यह इंजन की समस्या ही है। पर वह संभव जरूर है।
It is interesting to note that root causes give the exact meaning of the Pāli term “mūlika hetu“; “mula” is the root of a tree. Even if a tree is cut down, the tree may not be killed if the roots remain intact. It may still sprout new limbs and finally grow into a full-fledged tree.
दिलचस्प बात यह है की पाली भाषा में "मुलभुत कारणों" को "mūlika hetu" कहा गया हैं। यहाँ "mula" का अर्थ होता है, पेड़ की जड़। जाहिर सी बात है की अगर पेड़ को काट दिया जाये परन्तु उसकी जड़ को जैसे का वैसा रखा जाये तो पेड़ कुछ समय में वापस पहले के जैसे बन सकता हे।
However, removing the deep roots of a tree will permanently kill the tree. Similarly, removing root causes will eradicate a persisting problem.
लेकिन अगर इस पेड़ को उसके मूल समेत काटा जाएं तो वो वापस नहीं उग सकता। इसी तरीके से जब हम किसी समस्या के मुलभुत कारण का निदान करें तो हम यह अपेक्षा रख सकते है की वो समस्या वापस नहीं दोहराएगी।
Not Prudent to Apply Temporary Solutions
अस्थायी उपाय आजमाना व्यावहारिक नहीं है।
5. Most times, when a problem arises, we tend to do the most expedient thing to get it out of the way and move on. If the headache goes away until one gets through the day, one may decide just to take an aspirin and handle it daily like that.
अधिकांश समय हम जब भी किसी समस्या का सामना करे तब हम सबसे सरल या सामान्य उपाय आजमा के उस समस्या का हल करने का प्रयत्न करते है। जैसे की अगर हमें सरदर्द एस्पिरिन दवाई लेने से ठीक हो जाएं तो शायद हम रोज ही एस्पिरिन दवाई लेने लग जाएं।
Even when the wife (or husband) says, “You have been taking aspirins almost every day for this many days. Why don’t you see a doctor and see whether there is something else going on?” we may just continue with the “temporary fix” especially if we are busy.
अगर हमें हमारे परिवारजन भी यह कहे की, "बेटा, तुम रोज ये दवाई ले रहे हो। तुम चिकित्सक को अपने सरदर्द के बारे में क्यों नहीं पूछते। शायद इस सरदर्द का कोई और कारण भी हो सकता है।" ऐसा हो सकता है की विभिन्न कारणों से हम चिकितसक से मिलके सरदर्द के मुलभुत कारण को ढूंढ़ने की बजाय रोज सिर्फ एस्पिरिन खाके अपना काम चला ले।
If that person was starting to develop cancer, postponing the “root cause” diagnosis could be a grave mistake. Cancer cells multiply rapidly and could spread to other body parts.Even though one could get temporary relief by taking aspirin daily (may be by gradually increasing the dose too), that is NOT the solution. The result in the short term could be temporary relief, but one is heading into a much more dangerous outcome.
अगर उस व्यक्ति का सरदर्द कैंसर के कारण है तो कैंसर का निदान करने में देरी करना उस व्यक्ति के लिए काफी जोखिम भरा कदम हो सकता है। क्युकी कैंसर के कोष काफी जल्दी बढते है और वो काफी जल्दी शरीर के दूसरे भागो में भी फ़ैल सकते है। अब इस परिस्थिति में हम एस्पिरिन जैसी दवाई रोजाना लेके शायद अपना सरदर्द थोड़े समय के लिए दूर कर सके।(शायद रोजकी मात्रा भी बढाते जाये) किन्तु वो स्थायी उपाय नहीं है। यहाँ पे ये व्यक्ति इस गंभीर समस्या का अस्थायी उपाय करके अपने आप को जोखिम वाली स्थिति में डाल रहा है।
The ideal solution to the problem is not to temporarily be free from the headache but to be free from cancer!
यहाँ इस सिरदर्द की समस्या का आदर्श उपाय है उसके मुलभुत कारण का निदान करना। अर्थात की उस व्यक्ति के कैंसर की बीमारी का इलाज करना और कैंसर की बीमारी को जड़ से काटना। नाकि एस्पिरिन जैसी दवाई लेके रोज अस्थायी आराम पाना।
Suffering Associated with Existence
अस्तित्व के साथ जुड़ा हुआ दुःख।
6. The Four Noble Truths handle the most critical problem of all: the suffering associated with existence.
चार आर्य सत्य जीवन की सबसे गंभीर समस्या से ताल्लुक़ रखते है। जो है अस्तित्व के साथ जुडी दुःख की समस्या।
First, most of us are unaware that it cannot be handled with temporary solutions
अब यहाँ पे ये समझना जरूरी है के यह गंभीर समस्या अस्थायी उपायों से हल नहीं की जा सकती।
For example, even if we don’t suffer significantly in this life, there will be suffering in future lives. Some people do not realize that there is a rebirth process and that most rebirths are filled with unimaginable suffering. They are unaware that the problem is much more than just suffering in this life.
उदारहण के तोर पे, भले ही हम इस जीवन में बोहोत सारे दुःख से ना गुजरे, किन्तु आने वाले भविष्य के जीवनो में निश्चित रूप से हमें तकलीफो का सामना करना होगा। कई लोग पुनर्जन्म की घटना में विश्वास नहीं रखते। लेकिन हमें इस विषय पर उपलब्ध प्रमाणों का निरिक्षण करना चाहिए। जो लोग पुनर्जन्म में विश्वास नहीं रखते वह ये नहीं समझ पातें के जीवन के दुःख की समस्या सिर्फ यह वर्तमान जीवनसे मर्यादित नहीं है।
7. In complex situations, the root causes of a given problem will not be obvious if one does not have a sufficiently broad view of the situation. That means the ideal solution may not be obvious.
कहीं परिस्थितिओ में, संकीर्ण समस्या का मुलभुत कारण ढूँढना आसान नहीं होता। समस्या का हल हम उस संकीर्ण समस्या को कितने अच्छे से समझते है उस पर भी आधार रखता है। जिसका अर्थ है की कहीं बार जटिल समस्या का आदर्श उपाय हमें सीधे तरीके से सपष्ट ना भी मिले।
When that happens, the problem leads to ever-increasing severity and may not be solvable. Therefore, postponing finding the root causes of a problem can be dangerous.
जब हम जटिल समस्या के मुलभुत कारणों को ना ढूंढ सके तब समस्या और भी गंभीर हो सकती है। इसलिए हमें ऐसी संकीर्ण समस्याओं के मुलभुत कारण ढूंढने में बिलकुल विलंब नहीं करना चाहिए।
In the example discussed in #3 above, cancer may grow if one keeps postponing getting a good diagnosis by a qualified physician. It will be too late when cancer has spread through the body. Thus, and after some point, cancer may not be treatable.
उदाहरणार्थ, हमने ऊपर के मुद्दे में कैंसर की समस्या की बात की थी। अगर कोई व्यक्ति कैंसर की बीमारी के उपचार में ज्यादा विलंब करे तो कैंसर के कोष शरीर के बाकि हिस्सों में फ़ैल सकते है। अगर ये कोष ज्यादा फैले तो ऐसा हो सकता है की कुछ समय के बाद हम बीमारी को ठीक ही ना कर पाएं।
In the same way, our ability to grasp the deep teachings of the Buddha will decrease as we get old and our brains start deteriorating. Don’t postpone this most critical task of learning Buddha Dhamma!
इसी तरीके से हमारी बुद्ध धम्म को समझने की क्षमता भी उम्र के साथ कम हो सकती है, इसी लिए हमें बुद्ध धम्म को समझने के महत्वपूर्ण कार्य को प्राथमिकता देनी चाहिए।
The Solution to the Existence of Suffering Requires a Wider Worldview
अस्तित्व के साथ सम्बंधित दुःख की समस्या को हल करने के लिए हमें विस्तृत दृष्टिकोण चाहिए।
8. That larger problem of existence can be “seen” only by the highly-purified mind of a Buddha. During the night of Enlightenment, the Buddha achieved three types of higher knowledge:
अस्तित्व के साथ जुड़ी मूलभूत समस्या को सिर्फ तथागत बुद्ध का पूरी तरह से शुद्ध मन ही समझ सकता है। बुद्ध ने अपनी प्रबोधन की रात को तीन प्रकार के उच्चतर ज्ञान भी प्राप्त किए।
Ability to recall one’s past lives (pubbe nivāsānussati ñāṇa),
पिछले जन्मों को देखने की शक्ति (पुब्वे निवासानुस्सति)
The ability to see any living being’s cuti (end of bhava) and patisandhi (grasping of a new bhava). This is the cutūpapāta ñāṇa.
किसीभी जीव के भव को खत्म होते और नए भव को बनने की प्रक्रिया को देखने की शक्ती (चुतूपपात ज्ञान)
The attainment of the Buddhahood with āsavakkhaya ñāṇa. That involved grasping the Four Noble Truths and the Noble Eightfold Path to Nibbāna.
आसवक्खय ज्ञान= माने की चार आर्य सत्य और आर्य अष्टांग मार्ग को सम्पूर्ण समझना और बुध्धत्वको प्राप्त करना
Therefore, his worldview of a wider world with 31 realms and rebirth is NOT speculation. He could recall past lives, and he visited many other realms. Many suttas in the Tipiṭaka describe those recollections and visits. See “Buddhahood Controversies – Introduction.”
इसी लिए बुद्ध के वचन जो हमें संसार के ३१ भव के बारे में बताते है, वह कोई अनुमान या परिकल्पना नही है। वह अपने और बाकी जीवो के पिछले जन्मों को देख सकते थे। त्रीपीटक के काफी सूत्ता (सूत्र) इस बारे में जानकारी देते है।
Of course, we have to believe that based on faith. Yet, that should not be blind faith: “Buddha Dhamma: Non-Perceivability and Self-Consistency.”
अब यह सीधी सी बात है की हम इन सारी बातोको बुद्ध पे श्रद्धा रखके मानना होगा। फिरभी वह अंधश्रध्धा तो नही बननी चाहीये। आधुनिक विज्ञान की बदौलत हम पुनर्जन्म से जुड़े कुछ तथ्यों को अच्छे से समझ सकते है।
Focusing on This Life Yield Only Temporary Solutions
अगर हम सिर्फ इस जीवन के बारे में ही सोचेंगे तो हमारे जीवन की समस्याओं के उपाय भी अस्थाई ही होंगे।
9. Of course, one can find temporary solutions by just fixing the superficial causes. Just like fixing a headache by taking an aspirin, one could find temporary happiness in this life by “trouble-shooting” each problem as it arises. That is the “rat race” most of us are engaged in.
सीधी सी बात हैं की हम सतही कारणों को ढूंढ कर किसी भी समस्या का अस्थाई रूप से इलाज कर सकते है । जैसे हमने पहले देखा की कैसे एस्पिरिन जैसी दवाईयां लेके हम सिरदर्द का निदान कर सकते है । जैसे जैसे जीवन की अलग अलग कभी ना रुकने वाली समस्याएं आती जाएं हम उसे एक एक करके अस्थाई रूप से ठीक कर सकते है । और यहीं एस।"चूहों की दौड़" में तो हम सब कबसे भाग रहे है ।
For example, most of our time is spent solving problems that pop up at the office or home. At the office, one is assigned a task to finish within a certain time. When finished, one gets another. That goes on until retirement!
उदाहरण के तौर पे, हमारा काफी समय घर या ऑफिस की समस्याओं को हल करने में ही चला जाता है । ऑफिस में हमें अलग अलग कार्य दिए गए समय में खत्म करने होते हैं । यही प्रक्रिया रिटायरमेंट तक चलती रहती है ।
It is not that different at home. One must take care of the kids, house, cars, etc.
घर पे भी स्थिति कुछ ज्यादा अलग नही होती । हमें परिवारजनों का, घर का, गाड़ी का ध्यान रखना पड़ता है ।
At the end of this life, another WILL start. Then we do it all over again. There is no permanent solution to this short-sighted approach.
अगर हम ऐसे ही सतही कारणों को ढूंढ के समस्याएं हल करते रहेंगे तो, हमें यही समस्याओं का सामना वापस भविष्य के जन्म में भी करना पड़ेगा । मानव जीवन के साथ आने वाली समस्याओं का कोई स्थायी उपाय नहीं है ।
But it could be much worse when future birth is in an apāya. That is when one will be helpless. The only way to avoid that possibility is to get to at least the Sotāpanna Anugāmi stage of Nibbāna.
संसार के चार निचले भव (प्राणी, प्रेत और २ नर्क) में समस्या और भी विकट है । वहा पे जन्म होने के बाद हम बोहोत निसहाय बन जाते है । इन चार खतरनाक भव में जन्म को रोकने का एक मात्र तरीका है की हम कम से कम निर्वाणका प्रथम चरण यानी "सोत्तापन्ना" चरण प्राप्त कर ले ।
Only One Permanent Solution
एक मात्र स्थाई उपाय ।
10. Tackling superficial causes that we can readily see or discern is what we have been doing since the beginning-less time. Life after life, we just strive to “maintain things to our satisfaction,” and at EACH time, we fail.
इस संसार में अनादि काल से हम अलग अलग समस्याओं को सतही कारण ढूंढ के ही तो हल कर रहे है । जन्म प्रतीजन्म अलग अलग चीजों को हम जैसे चाहे वैसे रखने का प्रयत्न ही तो कर रहे हैं, लेकिन हम इस लक्ष्य में कभी सफल नहीं हुए ।
Most times, we suffer trying to “get things going in the way we want,” and by the time we achieve at least some success, our bodies start falling apart, so we will not be enjoying what we have gained with so much effort.
अधिकतर समय, हम चीजों को जैसे चाहे वैसे करने मे गुजार देते है । जब हम इनमें से कुछ प्राप्त करें, तब तक हमारा शरीर हमारा साथ देना छोड़ देता है । हमने जो इतनी महेनत करके प्राप्त किया है हम उसका लुफ्त तक नही उठा पाते ।
Think carefully about any famous personality we believe has achieved their life goals. They all will have to leave behind their achievements at death. Furthermore, those things would not mean anything in their new life; they will have to start all over. The only things carried over to the new life are any good/bad habits or deeds they cultivated, not material gains.
हम किसी भी लोकप्रिय व्यक्ति के जीवन के बारे में सोच सकते है, जिन्होंने शायद अपने जीवन के सारे लक्ष्यों को प्राप्त कर लिए हो । यह सारे व्यक्तियों को मृत्यु के समय अपनी सारी उपलब्धियों को छोड़ के जाना होगा । उनकी इस जीवन की उपलब्धियों का उनके नए जन्म में कोई भी महत्व नहीं होगा। उनको वापस से सारे लक्ष्य प्राप्त करने होंगे । एक मात्र चीज जो हम अपने साथ मृत्यु के बाद ले जाते हैं वह है हमारी अच्छी या खराब आदतें और हमारे कर्म, नही के हमारी कोई भौतिक संपत्ति।
Root Causes of Saṁsāric Suffering
सांसारिक दुःख के "मूलभुत कारण"।
11. If we understand where this never-ending process gets the required fuel from (i.e., the root cause for rebirths), then by ELIMINATING those causes, we can permanently solve the problem of perpetual suffering in the rebirth process.
अगर हम ये समझ पाएं की यह कभी ना खत्म होने वाली समस्या कोनसे कारणों से पनपती है तो इन कारणों को निकालने से हम इन समस्या को उदभव होने से पहले ही रोक सकते है। इस तरीके से हम संसार के कभी ना रुकने वाले जीवन मृत्यु के चक्र को रोक कर के कभी ना रुकने वाली संसार के दुःख की समस्या को हल कर सकते है।
As long as we crave “mind-pleasing things” in this world by generating abhisaṅkhāra, rebirth (jāti) in this world is inevitable. Depending on the type of abhisaṅkhāra, rebirth may be in an apāya, human, Deva, or Brahma realm. But they all end up in old age and death.
जब तक हम "मनमोहक वस्तुओं" की लालसा रखे और उसके लिए अभि संखारा बनाते रहें, इस दुःख से भरे संसार में हमारा जन्म नही रुकेगा । हम प्रकार के अभि संखारा करते है, इसके आधार पर हमारा जन्म अलग अलग भव जैसे की मानव भव, प्राणी भव, देव भव, ब्रह्मा भव इत्यादि में होता रहेगा । अच्छे या खराब भव, सारे भव में वृद्ध होना और मृत्यु ये निश्चित ही है।
It is critical to realize that six root causes maintain this world for anyone: greed, hate, ignorance, and mundane versions of non-greed, non-hate, and non-ignorance. It is fairly easy to see how greed, hate, and ignorance can lead to rebirth in the apāyās.
यह समझना और जानना काफी जरूरी है की सिर्फ ६ मूलभुत कारण कीसीभी जीव के लीये विश्व को बनाएं रखते है । यह ६ मूलभुत कारण है: लोभ, द्वेष, मोह,ओर लोकिय अलोभ, अद्वेष, अमोह ।यह समजना काफी आसान हे की पहले तीन कारण, माने की, लोभ, द्वेष, मोह, ये चार निचले खराब भव में जन्म के लिए जवाबदार है।
It is impossible to understand how mundane versions of non-greed, non-hate, and non-ignorance can be bad until those “bad roots” of greed, hate, and ignorance are removed. An understanding of Paṭicca Samuppāda is necessary to see the “hidden suffering” in apparently harmless sensory pleasures. See “Six Root Causes – Loka Samudaya (Arising of Suffering) and Loka Nirodhaya (Nibbāna).”
परंतु लोकिय अलोभ, अद्वेष, अमोह; ये तीन कारण कैसे खराब है ये समझने के लिए, हमें लोभ, द्वेष, मोह के पहले तीन खराब कारणों को मन से निकालने होंगे। हम जिन पांच इंद्रियों से आने वाले सुख को अच्छा और बढ़िया मानकर उनके पीछे भागते रहते है, उनमे छीपे दुखको जानने के लिए हमें “पतिच्छा समुप्पदा” की प्रक्रिया को समझना पड़ेगा।
Thus, stated succinctly, the root cause of our suffering is not being able to “see” the hidden suffering in sensory pleasures.
एक तरीके से यह कह सकते है की हमारे दुःख का कारण इंद्रियों के सुख मे छीपे दुखको नही देख पाना हे।
Not understanding that is avijjā or ignorance.
यह न समझना ही अविद्या है।
Removal of the Root Causes
मूलभुत कारणों को निकालना
12. The third step is to see that the successful solution to this problem is the attainment of Nibbāna or stopping the rebirth process. This is probably the hardest step to latch on to because it requires eliminating the root of cravings (attachments.)
संसार के दुःख की समस्या को स्थायी रूप से रोकने का एक मात्र तरीका है की निर्वाण को पाना,जो सिर्फ पुनर्जन्म की प्रक्रिया को रोक ने के बाद ही संभव है। यह सबसे कठिन चरण है। क्योंकि यह करने के लिए हमें संसार से जुड़े लोभ, द्वेष, मोह को निकालना होगा।
We can see that “mind-pleasing things” bring us happiness. It is not easy to “see” the suffering hidden in that.
हम समजते हे की जीससे हमारा मनोरंजन हो वो सूख लाता हे। परंतु उस सुखमे छीपे दुःखको देखना आसान नही हे।
The Buddha likened this to the case of an ox dragging a fully-loaded cart eagerly while its owner is holding a stack of hay on a pole in front of it. The ox has its mind set on reaching the stack of hay and does not even realize the heavy load it is pulling.
बुद्ध ने इसकी तुलना एक बैल से की जो पूरी तरह से भरी हुई गाड़ी को उत्सुकता से खींच रहा है, जबकि उसका मालिक उसके सामने एक खंभे पर घास का ढेर रखता है। बैल का मन घास के ढेर तक पहुँचने में लगा रहता है और उसे यह एहसास भी नहीं होता कि वह कितना भारी बोझ खींच रहा है।
A fish can see only the tasty worm but not the dangerous hook hidden inside. We are not that different from the fish, as the Buddha explained in the “Baḷisa Sutta (SN 17.2).”
एक मछली केवल स्वादिष्ट कीड़ा देख सकती है लेकिन अंदर छिपे खतरनाक हुक को नहीं। हम मछली से इतने अलग नहीं हैं, जैसा कि बुद्ध ने "बालिसा सुत्र (SN17.2)" में समझाया है।
(SN 17.2 सूत्र क्रमांक है)
It is only when one truly comprehends that “it is fruitless to struggle to find happiness in this world of 31 realms” that one attains the Sotāpanna stage.
यह केवल तभी होता है जब हम वास्तव में यह समझ ले कि "31 लोकों की इस दुनिया में खुशी पाने के लिए संघर्ष करना व्यर्थ है", तब हम सोतापन्न चरण को प्राप्त करते है।
Thus, cravings for worldly things can ONLY be removed via wisdom (paññā) when one can accept the wider worldview discovered by the Buddha (rebirth process) and how abhisaṅkhāra (generated with avijjā) leads to rebirths in various realms, i.e., understanding Paṭicca Samuppāda/Tilakkhana. That understanding leads to the Sotapanna stage. It is a change of one’s worldview!
इस प्रकार, सांसारिक वस्तुओं के लिए लालसा को केवल प्रज्ञा (पन्ना) के माध्यम से दूर कि जा सकती है। जब कोई बुद्ध द्वारा खोजे गए व्यापक विश्वदृष्टि (पुनर्जन्म प्रक्रिया) को स्वीकार करता है और कैसे अभिसंखारा (अविज्जा के साथ उत्पन्न) विभिन्न लोकोमे में पुनर्जन्म की ओर ले जाते है, अर्थात “पटिच्च समुप्पादा”/”तिलखन” को समझना । वह समझ ही सोतापन्ना अवस्था की ओर ले जाती है। यह किसी की विश्वदृष्टि का परिवर्तन है!
Following the Path to Remove Future Suffering
मार्ग का अनुसरण करके भविष्यके दुःख को निकालना।
13. The Buddha said that when one sees one Noble Truth, one sees all four. Thus at the attainment of the Sotāpanna stage, the way to Nibbāna also becomes clear.
तथागत बुद्ध ने कहा है की जब हम एक आर्य सत्य को समझे, हम बाकी तीनों आर्य सत्य को अपने आप ही समझ लेंगे। इसी लिए जब हम सोत्तापन्ना मार्ग फल प्राप्त करे, तब हमें निर्वाण प्राप्त करने का रास्ता भी साफ दिखने लग जाता है।
The process of removing the root causes of avijjā and taṇhā is the Fourth Noble Truth, the magga sacca, or the Truth of the Path, where “magga” is a path. And this path is eightfold, and it is the Noble Eightfold Path.
पुनर्जन्म के साथ जुड़ी दुख की समस्या के मूलभुत कारणों माने की त्रीष्णा और अविधा को निकालने का तरीका चतुर्थ आर्य सत्य में दिया गया है। यह आर्य मार्ग अष्टांग मार्ग है, माने की इस मार्ग के आठ अंग है। (आर्य अष्टांग मार्ग = लोकोत्तर अष्टांग मार्ग)
The Path has to be followed systematically. The first step is to realize the “correct vision” or Sammā Diṭṭhi to eliminate “san.” A Sotāpanna has achieved this to a significant extent by comprehending anicca, dukkha, and anatta to a certain extent.
हमें इस मार्ग का सही तरीके से अनुसरण करना है। मार्ग का सबसे पहला चरण है की "सही दृष्टि" पाना। माने की सम्मा दिट्थी को विकसित करना। सम्मा दित्थि का मतलब है की "सन/san" को निकालने का प्रयास करना। "सन/San" माने मन की अशुद्धियां जो मन को असंतुलित बनाती है और जो दुःख को जन्म देती है। सोत्तापन्ना ने संसार के तीन लक्षण (अनिच्छा, दुःख, अनत्ता) को समझ कर यह "सही दृष्टि" काफी हद से पा ली है। किंतु यह दृष्टि अर्हंत मार्ग फल प्राप्त करके ही संपूर्ण होती है।
The Four-Step Process Is Universal
ये समस्यके हल को ढूंढने की चार चरण प्रक्रिया सार्वत्रिक है।
14. Therefore, the four-step process stated in #1 above is a basic principle that can be used to solve any problem. That means solving a mundane problem temporarily and providing a permanent solution to the ultimate problem of existence. That approach is based on the principle of cause and effect, the same one that Nature is based on.
जैसे की हमने मुद्दा #१ में देखा, इस ४ चरण वाली पद्धति से हम भिन्न भिन्न प्रकार की समस्यों का हल निकाल सकते है । यह समस्या काफी सामान्य भी हो सकती है या फिर यह समस्या संसार की सबसे महत्व की समस्या भी हो सकती है। यानी की कभी ना खत्म होने वाले दुःख किस समस्या। यह ४ चरण पद्धति कारण और प्रभाव के सिद्धांत ऊपर आधारित है। प्रकृति भी कारण और प्रभाव के सिद्धांत पर ही कार्य करती है।
One could even find a somewhat longer-term solution by working towards a better rebirth. We must do that too, but always the goal MUST BE to remove all root causes.
हम इस पुनर्जन्म की समस्या का दीर्धकालीन (किंतु अस्थायी) उपाय भी सोच सकते है। यह हम अच्छे जन्म को पाने के लक्ष्य की तरफ प्रयास करके कर सकते है। हमें यह करना ही होगा, किंतु हमारा लक्ष्य ६ मूलभुत कारणों को निकालना होना चाहिए। (क्योंकि यह याद रखना जरूरी है की संसार का कोई भी जन्म चाहे अच्छा जन्म या बुरा जन्म, ऐसा नहीं है जिसमे मृत्यु न हो।)
First Step – Understanding the Existence of the Problem
प्रथम कदम = समस्या के अस्तित्व के बारे में जानना
15. The key point that the Buddha was trying to make was that we do not realize that there is a “problem of existence.” The first step in the four-step process is to realize the validity of the rebirth process. Since we cannot readily see the rebirth process, most of us focus on just this life.
मुख्य बिंदु जो बुद्ध समजाने की कोशिश कर रहे हे कि हमें यह एहसास नहीं है कि "अस्तित्व ही समस्या" है। अस्तित्व की समस्या को समझने के लिए पुनर्जन्म के सत्यता को समझना जरूरी है। क्युकी हम पुनर्जन्म की प्रक्रिया को सीधे ही नही देख सकते, इसी लिए हम अपने वर्तमान जीवन पर ही अपना ज्यादातर ध्यान देते हैं।
All we have been doing is to “take aspirins” as headaches resurfaced instead of finding a permanent solution to the “problem of never-ending headaches.”
हमने अभी तक संसार में यही किया है । जब जब हमें सरदर्द हुआ है तब तब हमने उस सरदर्द के होने के गहरे कारणों की खोज करने की जगह एवम ज्यादा जांच करने की बजाय, "एस्पिरिन" जैसी गोलियां लेकर अस्थाई रूप से सरदर्द की समस्या को ठीक करने की कोशिश की है। जब की हमें इस कभी न खत्म होने वाली समस्या का कोई स्थाई उपाय ढूंढना चाहिए।
In every life so far, what we have done has been to “take aspirins” to try to solve problems temporarily as they inevitably come our way. The Buddha taught that one must address the root causes of Saṁsāric suffering to remove any future suffering.
तथागत बुद्ध ने हमें कहा है के हमें अस्तित्व के साथ जुड़े दुख की समस्या को स्थायी रूप से हल करना चाहिए। जो हम समस्या के मूलभुत कारण को समझ के कर सकते है।
This is the First Noble Truth of “ dukkha sacca” (pronounced “dukkha sachcha.”) It means “existence in this world of 31 realms is filled with suffering, and it is a never-ending process. But that can be overcome permanently”.
यह सत्य ही प्रथम आर्य सत्य है। प्रथम आर्य सत्य संसार से स्थायी रूप से जुड़ी दुख की समस्या के बारे में हमें जानकारी देता है। उसका मतलब है की संसार के सारे ३१ लोक दुःख से भरे हुए है और इसी लिए हमें पुनर्जन्म को हमेशा के लिए रोकने का प्रयत्न करना चाहिए।
Therefore, the main goal must be Nibbāna. There is no other permanent solution!
इसी लिए हमारा लक्ष्य निर्वाण को प्राप्त करना होना चाहिए। और सारे उपाय अस्थायी है।
Nibbāna – Elimination of All Six Root Causes
निब्बाना - ६ "मूलभुत कारणों" का उन्मुलन
16. Nibbāna does not have a cause. Eliminating all six root causes in #11 leads to Nibbāna. All these are removed via paññā or wisdom. It is important to realize that wisdom means understanding the Four Noble Truths/Paṭicca Samuppāda/Tilakkhana.
निब्बाना को प्राप्त करने के लिए किसी कारण की जरूरत नहीं है। बल्कि, निब्बाना को ६ मूलभुत कारणों को निकालके प्राप्त किया जा सकता है। इन ६ कारणों को हम ज्ञान प्राप्त करके ही निकाल सकते है। यहां ज्ञान मतलब के, 4 आर्य सत्य, प्रकृति के तीन लक्षण और पटीच्छा समुप्पदा को समझना।
But for now, it suffices to say that the four lowest realms of this world are “maintained” via the “bad roots” of greed, hate, and ignorance. The remaining 31 realms are “supported” by (the mundane versions of) non-greed, non-hate, and non-ignorance, the so-called “good roots.”
अभी इतना कहेना पर्याप्त्त हे की ६ में से ३ मूलभुत कारण (लालच/लोभ, द्वेष, मोह) सबसे नीचे के ४ भव में जन्म के लिए जवाबदार है। बाकी के ३ अलोभ, अद्वेष, अमोह के लोकिय रूप, संसार के बाकी के लोक में जन्म के लिए जवाबदार है ।
This is why the Noble Eightfold Path is two-fold: the mundane (lokiya) Noble Eightfold Path must be followed first to avoid birth in the lowest four realms and cleanse the mind to a certain extent. But one could “fall back” in future lives unless one gets to the Sotāpanna Anugāmi stage.
इसी कारण आर्य अष्टांग मार्ग दो अंग वाला है: १. लोकिया (या अनआर्य मार्ग) मार्ग २. लोकोत्तरा (या आर्य) मार्ग । हमें पहले लोकियां मार्ग पे चलके चार निचले भव में जन्म को रोकना है और मनको कुछ हद तक सुध्ध करना हे। जब तक लोकीया अष्टांग मार्ग पे चलते हम कम से कम "सोत्तापन्ना अनुगामी" ना बन जाए, तब तक वापस चार खराब भव में जन्म का खतरा बना रहता है ।
Then one follows the transcendental (lokottara) Noble Eightfold Path to attain Nibbāna by fully cleansing the mind of all six roots. See “Mahā Cattārisaka Sutta (Discourse on the Great Forty).”
अब हमें, लोकोत्तर/ आर्य मार्ग पे चलके अपने मन को शुद्ध करके सारे ६ मूलभुत कारणों को निकालना है ।
इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप MN ११७ सुत्ता पढ़ सकते है।